Bheem Hidimba Ka Vivah
India A News,Bheem Hidimba Ka Vivah: द्वापर युग की कहानी है। सभी जानते थे कि कौरव ने पांडवों को हमेशा अपना शत्रु माना और उन्हें हर तरह से हराने की योजना बनाई। एक बार, जब पांच पांडव और कुंती वार्णावर्त नगर में महादेव के मेले को देखने गए, तो दुर्योधन ने उन्हें मारने की योजना बनाई। उन्होंने पांडवों के लिए विश्राम के लिए लाक्षागृह, अर्थात लाख के महल का निर्माण करवाया। लाख एक ऐसी चीज है जो जल्दी आग पकड़ लेती है।
रात को जब सभी विश्राम कर रहे थे, तभी महल में आग लगा दी गई। पांडवों को इस बात का पता पहले से ही चल गया था। इसलिए, उन्होंने महल के अंदर सुरंग बना दी थी और वे सभी उस सुरंग के रास्ते सुरक्षित बाहर निकल गए। वहां से निकलकर वे सभी जंगल में पहुंचे और रात गुजारने के लिए एक जगह रुक गए। भीम ने कहा कि आप सभी सो जाइए, मैं यहां पर पहरा देता हूं।
उसी जंगल में एक राक्षस था जिसका नाम हिडिंब था, और उसकी बहन का नाम हिडिंबा था। वह इंसानों को खाकर अपनी भूख मिटाता था। उस रात राक्षस ने अपनी बहन हिडिंबा से कहा कि उसे भूख लग रही है। वह किसी इंसान को पकड़ कर लेकर आए।
भाई की बात सुनकर हिडिंबा जंगल में यहां-वहां घूमकर किसी मनुष्य को ढूंढने लगी। तभी उसकी नजर भीम पर पड़ी और वह भीम पर मोहित हो गई। उसने मन में सोचा कि अगर मैं विवाह करूंगी, तो इस महापुरुष से ही करूंगी अन्यथा अपने प्राण त्याग दूंगी।
इस विचार के साथ, हिडिंबा ने अपने सुंदर स्वरूप को बदलकर भीम के पास गई और विवाह का प्रस्ताव रखा। जब इस बात का पता उसके राक्षस भाई को चला, तो वह अपनी बहन को मारने के लिए दौड़ा।
यह देखकर भीम ने राक्षस को रोका और दोनों में जोरदार लड़ाई हुई, जिसमें राक्षस मारा गया। शोर सुनकर कुंती और चारों भाई भी नींद से जाग गए। हिडिंबा ने फिर से भीम को विवाह करने का प्रस्ताव दिया, जिसे भीम ने ठुकरा दिया, लेकिन माता कुंती के समझाने पर हां कर दी। भीम और हिडिंबा का गंधर्व विवाह जंगल में संपन्न हुआ और कुछ समय बाद उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम घटोत्कच रखा गया।
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